कुछ ने पारंपरिक शिक्षा को, तो कुछ ने ऑनलाइन शिक्षा को बेहतर बताया मदन बाबू वन-बंधु हित चिंतक थे : शंकर दयाल बुधियासमाज सेवा ही मदन बाबू का जीवन था : सुमन्त कुमार मिश्रा
धनबाद ।राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर, धनबाद में मदनलाल अग्रवाल जयंती के उपलक्ष में वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसका विषय था- ‘क्या ऑनलाइन शिक्षा पारंपरिक शिक्षा से बेहतर है?’ इस विषय पर 14 स्कूल के 28 प्रतिभागियों ने भाग लिया । विद्यालय के प्राचार्य सुमन्त कुमार मिश्रा ने कहा कि मदनलाल अग्रवाल एक समाजसेवी थे ।समाज की सेवा ही उनका जीवन था ।वन बंधुओं के लिए शिक्षा कैसे उपलब्ध हो ऐसी चिंता आजीवन करते रहे। उन्होंने यह भी कहा कि झुग्गी- झोपड़ियाें में रहने वाले वंचित वर्ग के प्रति उनका अपार स्नेह था । पक्ष के वक्ताओं ने कहा कि ऑनलाइन एजुकेशन अच्छा है। इसकी कई वजह है एक तो कम से कम पैसे में छात्र अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं । खासकर कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा ने छात्रों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।हम दूर देश की चीजों को ऑनलाइन शिक्षा से प्राप्त कर सकते हैं इसलिए यदि ऑनलाइन शिक्षा से हम सकारात्मक तौर पर जुड़े हो तो वह अवश्य ही ठीक है किंतु इसका दुरुपयोग पढ़ाई पर ही नहीं जीवन पर भी पड़ेगा । विपक्ष के वक्ताओं ने कहा की पारंपरिक शिक्षा से अच्छी कोई शिक्षा नहीं हो सकती। ऑनलाइन शिक्षा गुरु शिष्य परंपरा को तोड़ने वाली शिक्षा है एवं इससे समाज में विकृति भी आ सकती है। जब हम शिक्षक के सामने होते हैं, पढ़ते हैं, उनका अनुसरण करते हैं उससे शिक्षा को हम जितना ग्रहण कर सकेंगे, ऑनलाइन से संभव नहीं है ।वही ऑनलाइन पर उपलब्ध शिक्षा की कई जानकारियांँ गलत दी जाती है, उसे फिल्टर करने वाला न हो तब तक वह घातक है इसलिए भले ही हम 21वीं सदी में चल रहे हैं लेकिन पारंपरिक शिक्षा की उपयोगिता कभी समाप्त नहीं होगी । वीणा बाल विकास विद्यालय की परी राज ने प्रथम, केंद्रीय विद्यालय नंबर-1 की राधा रानी द्वितीय, पुन: वीणा बाल विकास विद्यालय की सोनाली पांडे ने तृतीय स्थान प्राप्त किया ।उन्हें विद्यालय के संरक्षक ने मेडल प्रदान कर सम्मानित किया । वही प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया । संरक्षक शंकर दयाल बुधिया ने बताया कि मदन बाबू का जीवन समाज को संवारने में लगा । कम से कम उन्होंने 50 से अधिक संस्थाओं का निर्माण करवाया और आजीवन शिक्षा से जुड़े रहे ।एकल विद्यालय आज उन्हीं की देन है राजकमल उनकी सोच का परिणाम है। • पक्ष के वक्तअनुष्का, खुशी , अदिति ,करण, श्रद्धा राधा, परी राज, अनुष्का ,इंशा अफजल, इशिका सिंह, आस्था पाठक ,सुरभी सिंह ,रिश्ता झा ,राखी कुमारी। •विपक्ष के वक्तश्रद्धा ,दीपिका, आशीष ,सत्यम ,छवि, ज्योति, सोनाली, रितिका, मौली, अनन्या, सौरभ ,तहरीन ,अंशिका एवं सूरज कुमार मंडल• जो थे उपस्थित :-वाद विवाद प्रतियोगिता कार्यक्रम में विद्यालय के संरक्षक शंकर दयाल बुधिया, प्रबंध समिति सदस्य राजेश रिटोलिया, प्राचार्य सुमन्त कुमार मिश्रा, उप प्राचार्या उमा मिश्रा, प्राचार्य मनोज कुमार, संगणक शिक्षक सोमेश्वर राय एवं अन्य शिक्षक उपस्थित थे । वाद विवाद प्रतियोगिता में निर्णायक के तौर पर हिंदी के विद्वान राकेश कुमार मिश्रा एवं दो अन्य उपस्थित थे ।