प्रभु यीशु के जन्म के साथ पूरे विश्व भर में मनाई जा रही है क्रिसमस

Dhanbad : संत एंथोनी चर्च और अन्य चर्च में घंटियां मध्य रात्रि को घनघना उठी। साथ ही फिजाओं में “चरणी ऊपरे का तारा टिमटिम चमकेला, “आज एक बालक जन्म है”, “आया मसीह दुनिया में तू पापियों को बचाने को” की गूंज सुनाई दे रही थी। मध्य रात्रि होने के बावजूद भी हजारों की संख्या में ईसाई धर्मावलंबी संत एंथोनी चर्च एवं अन्य चर्च में बालक यीशु के जन्म की खुशी मनाने के लिए एकत्रित हुए थे। पूरे चर्च एवं चर्च परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। इतनी संख्या में होने के बावजूद भी सभी बहुत ही शांति एवं भक्तिपूर्वक भाव से बालक यीशु के जन्म के गीतों को गा रहे थे तथा प्रार्थना कर रहे थे। प्रार्थना के पूर्व पवित्र शास्त्र बाइबल कि आशीष की गई और प्रभु यीशु के जन्म से संबंधित वचनों को पढ़ा गया। फादर ज्ञान प्रकाश टोपनो ने अपने उपदेश मे कहा- कि आज हम प्रभु येशु जो हमारी मुक्ति दाता थे उनके जन्म के दिन को याद करने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। मनुष्य जाति ने अपने आप को इस तरह कमजोर बना लिया था कि हम अपने आप को पाप के मार से नहीं बचा सकते थे इसलिए हमें जरूरत थी कि कोई एक बचाने वाला आए और हमें बचाए। उन्हीं बचाने वाली महान व्यक्ति के बारे में नबियों ने भी भविष्यवाणी की थी। और वही प्रभु समय पूरा होने पर बैतलेहम में जन्मे। वही प्रभु जिन्होंने आगे चलकर हम सभी को पाप से मुक्ति दिलाया। इसलिए हम सभी आज आनंदित हैं क्योंकि प्रभु आज हमारे बीच हैं। आज की वर्तमान समय में जिस प्रकार हमें आधार कार्ड की आवश्यकता होती है अपनी पहचान को साबित करने के लिए ठीक उसी तरह आज से हजारों हजार साल पहले भी एक बार इसी प्रकार से जनगणना की गई थी जहां जोसेफ और मरियम भी अपनी पहचान बताने के लिए बेतलेहम को गए थे। जहां माता मरियम ने बालक येशु को एक गौशाला में जन्म दिया था। सोचने वाली बात यह कि इतने बड़े नगर बेतलेहम में बालक यीशु को जन्म लेने के लिए गौशाला ही क्यों मिला।वह तो परमेश्वर के पुत्र थे तो फिर उनका जन्म तो किसी राजमहल मे होना चाहिए था। लेकिन इसके ठीक विपरीत परमेश्वर के पुत्र येशु का जन्म एक गौशाला में होता है। यहां देखने वाली बात यह है कि जिस प्रकार उन दिनों धनी व्यापारी एवं राजकीय अधिकारियों के लिए तो जगह थी लेकिन प्रभु यीशु के जन्म के लिए कोई जगह खाली नहीं थी। ठीक उसी प्रकार क्या आज हमारे दिलों में गरीब, लाचार और जरुरतमंद के लिए जगह है या नहीं यह एक विचार करने वाली बात है। हम पैसे से तो अमीर है लेकिन क्या हमारे दिलों में अपने पड़ोसियों के लिए दुखी के लिए बीमार और लाचार के लिए प्यार और अपनापन है या नहीं। यदि नहीं तो ये आत्म मंथन करने की बात है जिससे हम यह समझ सकते हैं कि क्या हमारे दिलों में ईश्वर के लिए जगह है या नहीं‌ क्योंकि जहां दूसरों के लिए जगह नहीं होती वहां प्रभु यीशु के लिए भी जगह नहीं हो सकती। तथा जहां दूसरों के लिए जगह होती है वहां गरीबी के बीच भी स्वर्ग है।प्रार्थना समारोह के अंत में चर्च के फादर ज्ञान प्रकाश टोपनो द्वारा चरनी की आशीष करी और बालक यीशु की प्रतिमा को चरनी में स्थापित किया गया। बालक यीशु की प्रतिमा को स्थापित करने के पूर्व सभी श्रद्धालुओं ने पंक्तियों में बहुत ही भक्ति भाव पूर्ण तरीके से बालक यीशु को चुम्बन कर आशीष प्राप्त की।आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में संत अंथोनी चर्च कमेटी सदस्य शिशिर प्रभात तिर्की, बुलबुल सूरीन, इतवा टूटी, जॉन कैंप, हरमन बागे आदि की सक्रिय भूमिका रही।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

Latest Articles