Dhanbad : झारखंड के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में आवश्यकता आधारित संविदा पर हो रहे शिक्षक बहाली प्रक्रिया में साक्षात्कार हेतु पांच गुनी शॉर्ट लिस्ट जारी करने तथा स्थानीय – मूलनिवासियों को प्राथमिकता देने की मांग की।प्रदेश महासचिव विशाल महतो ने कहा कि हमारे झारखंड प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों के लचर व्यवस्था के कारण यँहा से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वालो की संख्या बहुत कम रहती है। साथ ही अन्य राज्यो की तुलना में यँहा के छात्र काफी पिछड़े हुए है। जिस कारण रोजगार की खोज में यँहा से पलायन करने की संख्या लाखो में है।ऐसे में झारखंड के स्थानीय छात्र आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण पीएचडी एवं बेहतर शिक्षा के लिए बाहर जाने में असक्षम होते है किंतु अपनी मेहनत और लगन से किसी तरह राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) में सफल हो रहे है।वर्तमान में अभी सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में आवश्यकता आधारित संविदा पर शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया चल रही है। जिसमे हमे सूचना प्राप्त है कि झारखंड के स्थानीय – मूलनिवासी अभ्यार्थी स्नातक (UG) तथा स्नातकोत्तर (PG) में मेधावी होने के बावजूद उनके पास पीएचडी उपाधि नही होने से सभी साक्षात्कार हेतु शॉर्ट लिस्टेड नही हो पा रहे है, वे साक्षात्कार हेतु सूची से बाहर हो जा रहे है। इस सूची में अन्य राज्यों के अभ्यार्थी हावी हो रहे है।प्रदेश अध्यक्ष ओम वर्मा ने कहा कि झारखंड में मूलनिवासियों के हित के लिए कोई स्पष्ट स्थानीय व नियोजन नीति है यंहा के लोग अपने ही राज्य में अपने अधिकारों से वंचित होते रहे है और जिसप्रकार से अस्थायी नियुक्तियां भी की जा रही है उसमें भी साजिश के तहत झारखंडी मूलनिवासियों को उन नियुक्तियों से बाहर किया जा रहा है। किसी भी स्तिथि में अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) स्थानिय – मूलनिवासियों के साथ अन्याय बर्दाश्त नही करेगा। राज्य के अंतर्गत निजी एवं अन्य क्षेत्रों में स्थायी व अस्थायी नियुक्तियों में स्थानीय मूलनिवासियों को प्राथमिकता देना होगा।मौके पर : धनबाद जिला अध्यक्ष विकास कुमार, बिक्की कुमार, सुदामा महतो, शिवप्रकाश शुक्ला राजेश सिंह, आनंद कुमार, इत्यादि लोग उपस्थित थे।
स्थानीय-मूलनिवासियों को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर आजसू ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा
By khabarhunt
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