Dhanbad : अयोध्या के श्री राम मंदिर में रामलला के विराजमान करने का प्राण लेकर 32 साल मौन धारण कर रही सरस्वती देवी शनिवार को अयोध्या से धनबाद लौटी. शनिवार सुबह 8:30 बजे धनबाद स्टेशन पर उतरी. धनबाद लौटने पर लोगों ने ढोल बजा हुआ. फूलमाला के साथ उनका स्वागत किया. लोगों का प्यार पाकर सरस्वती देवी की आंखें झलक उठी. स्नेह के साथ इन्होंने लोगों का प्यार स्वीकार किया. स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में लोग सुबह-सुबह स्टेशन पहुंचे थे.
ढोल नगाड़ों के साथ किया गया स्वागत
ढोल बजा के साथ उन्हें करमाटांड़ के मथुरा नगर निवास स्थान पहुंचा. घर पहुंचने पर परिवार वालों सरस्वती देवी का स्वागत किया. कर्माटांड़ की रहने वाली 50 साल की सरस्वती देवी रामलाल के मंदिर में विराजमान को लेकर 23 साल पहले कठिन प्राण ठान ली थी. प्राण था कि जब तक रामलला मंदिर में विराजमान नहीं होंगे, तब तक मौन रहेंगे. 22 जनवरी को रामलाल मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो उन्होंने अपना मौन व्रत तोड़ दिया था. तब से या अयोध्या में यहां रह रही थी. चार महीने तक नित्य गोपाल दास जी के आश्रम में रहे.
काशी व मथुरा में स्थापना का लिया प्रण
उनके पुत्र हरिराम अग्रवाल ने कहा की मौत तोड़ने के बाद मां प्रतिदिन 1 घंटे ही बोलती है. काशी व मथुरा में स्थापना का प्रण लिया है. इसके बाद पूर्ण रूप से मौन खत्म करेगी.
धनबाद 140 लोग लाने अयोध्या गए थे
सरस्वती देवी को अयोध्या से लाने के लिए धन्यवाद से 140 लोग गए थे. पुत्र हरे राम अग्रवाल ने कहा कि मौन व्रत तोड़ने के बाद मां पहली बार धनबाद लौटे हैं. 29 मई को 140 लोग से अयोध्या गए. वहां से दो दिन बाद शुक्रवार की रात अयोध्या से ट्रेन पकड़े और शनिवार सुबह 8:30 बजे पहुंचे. स्टेशन पर लोगों ने उनका जमकर स्वागत किया.