Dhanbad : घटवार-घटवाल आदिवासी महासभा लगभग 5 से 6 दशक से अपने हक अधिकार को लेकर आंदोलन करते रहे हैं लेकिन किसी सरकार ने आजतक समाज की मांगों को नही सुना. दुखी होकर घटवार-घटवाल आदिवासी समाज के लोग 2024 के लोकसभा चुनाव में हिस्सा नही लेंगे. यह जानकारी शुक्रवार को गांधी सेवा सदन में आयोजित महासभा के पदाधिकारियों ने दी. प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष दुर्गा सिंह घटवार, प्रदेश अध्यक्ष राम प्रसाद सिंह उपस्थित हुए.राम प्रसाद सिंह ने बताया कि 15 मार्च को दुमका जिला के सैरेयाहाट में आम सभा में यह निर्णय लिया गया कि घटवार – घटवाल जाति को आरक्षण नही तो वोट नही हम किसी के साथ नही का संकल्प लिया गया है. पुरे झारखण्ड में महासभा यह निर्णय कर चुकी है.घटवार/घटवाल जाति बिहार गजट 1938 के जन-जाति सूची के क्रमांक-11 नं0 में सूचिबद्ध थे जिसका उल्लेख बिहार सरकार कल्याण विभाग, बिहार जनजाति, कल्याण शोध संस्थान राँची के शोध प्रतिवेदन वर्णित है इसके अलावे अनेकों ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद है। 1989 में वर्णित है.अखिल भारतीय जनजाति समूह संघर्ष मोर्चा घटवार/घटवाल आदिवासी महासभा द्वारा जोरदार आंदोलन एवं राजनीतिक दबाव के परिणाम स्वरूप झारखण्ड सरकार ने दिनांक 23 नवम्बर 2004 को मोर्चा के पदाधिकारियों की उपस्थिति में कैबिनेट फैसला लेकर घटवार/घटवाल जाति को पूनः अनुसूचित जनजाति सूचि में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया. पुनः 22 सितम्बर 2012 को पूर्व प्रस्ताव को रिमाइण्डर कर केन्द्र सरकार को भेज दी.भारत सरकार द्वारा गठित केन्द्रीय टास्क फोर्स कमिटि ने 2014 में सिफारिस करते हुए आदेश दिया है कि घटवार/घटवाल जाति आदिवासी की सूची में शामिल नहीं होना मानवीय लिपिकीय भूल है के सिद्धांत पर जोड़ने की बात कही है। इसके बावजूद वर्तमान केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के गलत नीति के कारण घटवार/घटवाल जाति मामूली किरानी के भूल का खामियाजा 7 दशकों से झेल रही है.
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