DHANBAD: उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही चार दिवसीय आस्था का महापर्व चैती छठ का समापन हो गया। सोमवार 15 अप्रैल को कोयलांचल की व्रतियां अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ जिले के बेकारबांध राजेन्द्र सरोवर, पम्पू तालाब ,मनईटांड़ छठ तालाब ,बरमसिया तालाब ,रानी बांध तालाब, झरिया राजा तालाब, लाल बंगला दामोदर नदी, मोहलबनी घाट, चासनाला सूर्य धाम आदि छठ घाटों पर पहुंची और उदयीमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर परिवार की सुखशांति की कामना की.इसके बाद व्रतियां ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण कर 36 घण्टे का निर्जला उपवास तोड़ा। इस दौरान घाट पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने भी व्रतियों से ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण किया। महापर्व को लेकर जिले के नदीयों और तालाबों में श्रद्धालुओं का जनसैलाब दिखा।
वही सुरक्षा को लेकर जिले की पुलिस भी मुस्तेद दिखी। व्रतियों की सुविधा के लिए प्रमुख छठ घाटों पर बैरिकेटिंग की व्यवस्था के साथ ही सभी छठ घाटों पर विभिन्न समितियों द्वारा साफ सफाई और साज सज्जा की भी व्यवस्था की गई थी ताकि व्रतियों को घाट पर किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो। व्रती रेखा सिंह ने महापर्व छठ को लेकर कहा कि यह आस्था का महापर्व है। इसमें व्रतियां 36 घण्टे का निर्जला उपवास रख अपने पति और परिवार की सुखशांति की कामना करती है। छठी मईया सबकी मनोकामना पूर्ण करती है। यह पूजा शाल में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र शुक्ल की षष्टि और दूसरा कार्तिक शुक्ल की षष्टि में होता है।